Transformer क्या होता है और इसके कितने प्रकार होते है?

नमस्कार दोस्तों आशा करता हूं आप बिल्कुल ठीक होंगे आपका हार्दिक स्वागत है हमारे इस लेख में आज के इस लेख के मदद से हम Transformer क्या होता है और इसके कितने प्रकार होते है बारे में संपूर्ण जानकारी पूरे विस्तार से प्राप्त करने वाले हैं और इस के बारे में जानने भी वाले हैं। क्या आपको मालूम है कि आपके घर पर जो इलेक्ट्रिसिटी आता है।

वह ट्रांसफार्मर से ही होकर आता है और आपने बड़े बड़े लंबे पोल पर ट्रांसफार्मर को जरूर देखा होगा तब आपके मन में यह सवाल जरूर आया होगा कि आखिर यह ट्रांसफार्मर क्या है और इसका आविष्कार कब हुआ था और ट्रांसफार्मर के प्रकार कितने होते हैं और ट्रांसफार्मर के अंदर क्या-क्या चीज होता है और ट्रांसफार्मर को किस तरह से उपयोग किया जाता है और ट्रांसफार्मर का क्या क्या उपयोग किया जाता है ।

आप के इन्हीं सभी सवालों का जवाब देने के लिए हमने इस लेख को लिखा है और इस लेख में ट्रांसफार्मर से जुड़ी सभी जानकारी देने की कोशिश की है हम आपके छोटी सी जानकारी के लिए बता दें कि ट्रांसफार्मर इलेक्ट्रिसिटी को कम या ज्यादा या संतुलित करने के लिए उपयोग किया जाता है।

दोस्तों अगर आप सच में ट्रांसफार्मर से जुड़ी सभी जानकारी को स्टेप बाय स्टेप जानना चाहते हैं तो आप से मेरा अनुरोध है कि मेरे इस लेख को ध्यान से पूरे अंत तक पढ़े तभी आपको मेरा यह लेख अच्छे से समझ में आएगा तो चलिए शुरू करते हैं इस लेख को बिना देरी किए हुए।

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Transformer क्या होता है ? (What is Transformer)

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दोस्तों अगर आपके मन में यह ख्याल है कि आखिर Transformer क्या होता है तो आप हमारे इस टॉपिक के साथ अंत तक बने रहिए क्योंकि हम इस टॉपिक में आपको बताएंगे कि Transformer क्या होता है तो चलिए शुरू करते हैं। इस टॉपिक को बिना देरी किए हुए हम आपकी जानकारी के लिए बता दें कि Transformer एक ऐसा विद्युत यंत्र है जो कि AC यानी कि ( alternative current) supply की frequency को बिना बदले उसे कम या ज्यादा करने के लिए उपयोग किया जाता है।

इसका उपयोग उन DC यानी कि ( Direct current ) उपकरण पर किया जाता है। जो कि A C के सप्लाई द्वारा चलाए जाते हैं जैसे की एंपलीफायर, battery charger इत्यादि और कई सारे होते है । DC यानी कि Direct current उपकरण ऐसी उपकरण के मुकाबले बहुत कम ही बिजली से चलते हैं ।

जैसे कि ( Audio amplifier ) ऑडियो एंपलीफायर 12 Volt DC से काम करता है। इसीलिए transformer का इस्तेमाल कर के पहले AC Volt को 220 Volt से 12 Volt में बदला जाता है और फिर इसे (rectifier) रेक्टिफायर की मदद से AC यानी कि (Alternative current) से DC यानी कि (Direct current) में बदला जाता है।

दोस्तों अगर हम transformer को सरल शब्दों में समझने की कोशिश करें तो transformer एक वह जरिया है जिसकी मदद से लोग किसी भी current को ज्यादा या कम या संतुलित कर सकते हैं। तो दोस्तो आशा करता हूं आप जान चुके होंगे कि transformer क्या है तो चलिए अगली टॉपिक की ओर बढ़ते हैं और transformer से जुड़ी कुछ और जानकारी को प्राप्त करते हैं।

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Transformer का आविष्कार कब हुआ था?

दोस्तों इस टॉपिक में हम Transformer के अविष्कार से जुड़ी कुछ जानकारी को प्राप्त करने वाले हैं तो चलिए शुरू करते हैं इस टॉपिक को बिना देरी किए हुए हम आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सबसे पहले Transformer का आविष्कार Michael Faraday  के द्वारा तकरीबन शाल 1831 में हुवा था और Joseph Henry के द्वारा तकरीबन शाल 1832 में हुवा था।

आज Transformer का उपयोग बिजली के हर क्षेत्र में काफ़ी अच्छी तरह से हो रहा है बड़े से बड़े power station से ले कर एक छोटे से घर में भी Transformer का उपयोग किसी न किसी रुप में किया जा रहा है और हर जगह Transformer का सिर्फ एक ही काम होता है की आने वाले बिजली को कम या फिर ज्यादा करना तो या उसे संतुलन में रखना भी होता है।

आप यह बातों को जरूर सोच रहे होंगे कि आखिर Transformer का अविष्कार 2 लोगों ने अलग-अलग साल में क्यों किया था तो हम आपकी जानकारी के लिए बता दें कि Transformer  का पहला अविष्कार साल 1831 में ही हो चुका था मगर एक विज्ञानिक ने Transformer का आविष्कार किया जो कि कुछ दूसरे योग्य में काम आता है उन्होंने इस Transformer का अविष्कार 1832 में किया था।

तो दोस्तों कुछ इस तरह से Transformer का आविष्कार अलग-अलग साल में किया गया था। तो दोस्तो आशा करता हूं आप जान चुके होंगे कि Transformer का आविष्कार कब हुआ था तो चलिए अगली टॉपिक की ओर बढ़ते हैं और transformer से जुड़ी कुछ और जानकारी को प्राप्त करते हैं।

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Transformer के भाग (Parts of Transformer)

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दोस्तों इस टॉपिक में हम transformer के भाग से जुड़ी कुछ जानकारी को प्राप्त करने वाले हैं तो चलिए शुरू करते हैं इस टॉपिक को बिना देरी किए हुए हैं हम आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आमतौर पर transformer कई सारे अलग अलग  प्रकार के होते हैं और सभी transformer में कुछ खास component होते हैं जो कि छोटे से छोटे और बड़े से बड़े transformer में लगाए जाते हैं।

लेकिन गाइस जैसा कि आपको पता होगा कि transformer कई प्रकार के होते हैं इसी लिए बड़े transformer के अंदर और भी कई सारे महत्वपूर्ण component लगाए जाते हैं। लेकिन जो component सभी transformer में लगे होते हैं उसकी सूची हमने आप को नीचे में स्टेप बाई स्टेप दे रखी है जिस से आपको पता लगेगा कि transformer में कौन-कौन से भाग होते हैं और कौन कौन से भाग क्या क्या काम करते हैं तो चलिए देखते है उन भागो के बारे में

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Cores -कोर

दोस्तों क्या आपको मालूम है कि transformer को  Shell Form और Core Form में अच्छी तरह से डिज़ाइन कर के बनाया जाता है। और जिस Core transformer में winding को Core के चारों तरफ लगाया जाता है उसे Core Form कहते हैं और जिस transformer में Core को winding के चारों तरफ से अच्छी से फिट कर के लगाया जाता है तो उसे ही आमतौर पर Shell Form कहते हैं ।

transformer की कोर Silicon Steel की पत्तियों द्वारा बनाई जाती है और यह कौर transformer में होने वाले Eddy और Iron current को काफी हद तक Loss को कम करने के लिए लगाई जाती है। और इन पत्तियों की चौड़ाई तकरीबन 0.35 Mm से ले कर के 0.75 Mm के बीच में ही होती है और इन की सभी पत्तियों को आपस में वार्निश से जोड़ा जाता है। transformer में यह पत्तियां मुख्यतः E, I, L आदि के आकार में अच्छे ढंग से लगाई जाती है ।

Coil

transformer की Coil transformer के input और output तारों के साथ में अच्छी तरह से जोड़ी जाती है। क्या आपको मालूम है कि transformer में लगभग दो Coil लगी होती है। जो कि एक important का काम करती है और एक output का काम करती है। Coil को winding भी कहा जाता है .यह winding एक दूसरे से जुड़ी नहीं होती।

पहली winding और दूसरी winding एक दूसरे से बिल्कुल अलग होती है और इनकी कोर के चारों तरफ लपेटे की संख्या भी कम और ज्यादा होती है। और primary winding से secondary winding में supply mutual induction के कारण जाती है। इसके बारे में नीचे आपको ज्यादा अच्छे से बताया गया है लेकिन पहले इसकी winding के बारे में जान ले.

(Primary Coil) प्राथमिक वाइंडिंग  :- transformer में जिस वाइंडिंग पर AC input supply दी जाती है. उसे primary winding या प्राथमिक winding कहते हैं।

(Secondary Coil) द्वितीय वाइंडिंग :- transformer की secondary winding पर output के तार लगाए जाते हैं और इसी winding से transformer की output मिलती है। या यूं कहें कि transformer की जिस winding पर load connect किया जाता है उसे सेकेंडरी winding कहते हैं।

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Insulated Sheet

primary winding और secondary winding के बीच में खास तरह का एक सीट लगाई जाती है ताकि transformer में किसी प्रकार का कोई भी short circuit न हो। और transformer में winding पर किसी प्रकार का कोई नुकसान ना हो. इसीलिए यह winding के बीच में insulated sheet लगाई जाती है।

Conservator Tank

जैसा कि पहले हमने बताया transformer कई प्रकार के होते हैं उन्हीं के आधार पर उनके अंदर component लगाए जाते हैं इसीलिए three fage transformer में यह टैंक होता है जिसके अंदर तेल डाला जाता है और यह transformer को ठंडा रखने का काम करता है क्योंकि three fage transformer काफी बड़ा होता है इसीलिए वह गर्म भी बहुत ज्यादा होता है इसी लिए transformer को ठंडा रखने के लिए तेल का उपयोग किया जाता है और इस tank में transformer के लिए तेल भरा जाता है ।

Oil Level Indicator

क्या आपको मालूम होगा कि Conservator Tank में Oil भरा जाता है लेकिन इसे मापने के लिए इसके अंदर लगभग 1 meter लगाया जाता है जो कि tank में भरे Oil की मात्रा को बताता है. और यह मीटर Indicator tank के ऊपर ही लगाया जाता है।

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Bushing

Bushing का उपयोग transformer में Live Conductor और transformer की body को insulate करने के लिए लगाया जाता है  और यह transformer के सभी terminal पर लगाया जाता है और इसका उपयोग three fage transformer में ही किया जाता है।

Radiator Fan

दोस्तो हम आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जो transformer अधिक देर तक चलता रहता है तो वह गर्म हो जाता है  इसलिए Radiator fan का इस्तेमाल transformer को ठंडा रखने के लिए किया जाता है जैसे की आप जानते ही होंगे कि गाड़ियों में भी गाड़ियों के इंजन को ठंडा रखने के लिए radiator का इस्तेमाल होता है उसी प्रकार transformer में भी एक radiator लगाया जाता है लेकिन यह radiator सिर्फ बड़े transformer में ही लगाया जाता है।

Oil Filling Pipe

दोस्तों क्या आपको मालूम है कि transformer में तेल भरने के लिए transformer के समय पर एक अलग तरह का pipe लगाया जाता है जिसे Oil Filling Pipe कहते हैं और इसी की मदद से transformer में तेल भरा जाता है।

तो यह कुछ  महत्वपूर्ण भाग transformer के होते हैं जो कि लगभग सभी transformer में आपको देखने को मिलेंगे लेकिन यहां पर मैंने कुछ और भी component बताए हैं जो कि सिर्फ बड़े transformer में है आपको देखने को मिलेंगे यह transformer को ठंडा रखने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।

तो दोस्तों कुछ या ही महत्वपूर्ण भाग है जिनका उपयोग transformer के अंदर किया जाता है और यह काफी अच्छी तरह से काम भी करते हैं अगर यह न हो तो शायद ही transformer अच्छी तरह से काम कर पाएगा। तो दोस्तो आशा करता हूं आप जान चुके होंगे कि transformer के भाग क्या क्या है तो चलिए अगली टॉपिक की ओर बढ़ते हैं और transformer से जुड़ी कुछ और जानकारी को प्राप्त करते हैं।

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Transformer कितने प्रकार के होते हैं? (How many types of transformers)

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दोस्तों इस टॉपिक में हम जानने वाले हैं कि आखिर Transformer कितने प्रकार के होते हैं तो चलिए शुरू करते उस टॉपिक को बिना देरी किए हुए हम आपकी जानकारी के लिए बता दें कि Transformer आमतौर पर कई प्रकार के होते हैं जहां पर इनका उपयोग किया जाता है उसी आधार पर Transformer को बनाया जाता है।

जैसे कि मान लेते है कि अगर हमें घर में battery का charger बनाना है तो उसके लिए हमें step down यानी के voltage को हमे अपने हिसब से कम करने वाले transformer का उपयोग करना पड़ेगा और अगर कहीं पर हमें inverter बनाना है तो वहां पर हमें स्टेप अप transformer का उपयोग करना पड़ेगा या फिर हमारे घर में उपयोग होने वाला stabilizer में स्टेप अप transformer का उपयोग किया जाता है तो इसी लिए transformer कई सारे प्रकार के होते हैं जिनकी लिस्ट हमने नीचे में स्टेप बाई स्टेप दे रखी है।

Output वोल्टता के आधार पर Transformer के प्रकार

दोस्तों हमने इस टॉपिक में Output वोल्टता के आधार पर दो प्रकार को बताने की कोशिश की है तो चलिए उन्हें जान लेते हैं।

1.स्टेप अप ट्रांसफार्मर ( Step Up Transformer)

जो Transformer input voltage को बढ़ाकर अधिक output voltage प्रदान करता है उसे Step Up Transformer कहते हैं। Transformer में primary winding के मुकाबले secondary winding पर ज्यादा Coil के Turn या लपेटे होती हैं और इसका उपयोग stabilizer, inverter इत्यादि में किया जाता है।

2.स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर (Step down transformer)

जो ट्रांसफार्मर इनपुट वोल्टेज को घटाकर कम आउटपुट वोल्टेज प्रदान करता है उसे स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर कहते हैं.इसका इस्तेमाल बहुत ज्यादा किया जाता है क्योंकि DC सप्लाई से चलने वाले बहुत सारे उपकरण मार्केट में है और इसे हम घर में आने वाली AC सप्लाई से चलाने के लिए ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल करते हैं जो कि 220 Volt AC को घटा कर उपकरण के अनुसार कर देता है ।

जैसे कि ऑडियो एंपलीफायर को 12 Volt DC सप्लाई की जरूरत होती है इसलिए हमें स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल करके 220 Volt को 12 Volt में बदलना पड़ता है और फिर उसे AC TO DC कनवर्टर से DC सप्लाई में बदलना पड़ता है . इसीलिए इस ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल बहुत ज्यादा किया जाता है .

कोर कि सरचना के आधार पर Transformer के प्रकार

दोस्तों हमने इस टॉपिक में कोर कि सरचना के आधार पर transformar के दो प्रकार को बताने की कोशिश की है तो चलिए उन्हें जान लेते हैं।

1.शेल टाइप ट्रांसफार्मर (Shell type transformer)

दोस्तों हम आपके जानकारी के लिए बता दे कि यह E तथा I आकर की पतियों को जोड कर के बनाया जाता है इसमें तीन लिब पड़े होते है जिसमे से एक लिब पर दोनों winding की जाती है winding बीच वाले लिब पर की जाती है जिसका क्षेत्र दोनों side वालो से दो गुना होता है।

कम voltage वाली winding कोर के नजदीक की जाती है और ज्यादा voltage वाली winding कम वोल्टेज वाली वाइंडिंग के ऊपर की जाती है ताकि insulation आसानी से किया जा सके इसमें मेगनेटिक फ्लक्स के लिए दो रास्ते होते है इसे हम कम voltage के लिए उपयोग करते है।

2.कोर टाइप ट्रांसफार्मर (Core type transformer)

यह transformar L आकार Silicon Steel की पतियों को insulate करके जोड़ कर बनाया जाता है इसकी बनावट आयताकार रूप में होती है यह इसके चार लिब होते है जिनमे से दो आमने सामने वाले लिबो पर winding की जाती है इसमें magnetic flux के लिए केवल एक ही रास्ता होता है यह high voltage के लिए उपयोग किया जाता है।

Fage की संख्या के आधार पर Transformer के प्रकार

दोस्तों हमने इस टॉपिक में fage के आधार पर transformar के दो प्रकार को बताने की कोशिश की है तो चलिए उन्हें जान लेते हैं।

1.सिंगल फेज ट्रांसफार्मर (Single fage transformer)

single fage AC.supply पर कार्य करने वाला ट्रांसफार्मर होता है यह transformar सिंगल फेज की वोल्टेज को कम या ज्यादा करता है उसे सिंगल फेज transformar कहते हैं इसमें दो winding होती है प्राथमिक और secondary winding, प्राथमिक वाइंडिंग में single phase Electric Supply दी जाती है और secondary winding में single fage विद्युत सप्लाई step down या step Up के रूप में ली जाती है.

2.थ्री फेज ट्रांसफार्मर ( Three fage transformer)

Three fage AC. supply पर कार्य करने वाले ट्रांसफार्मर को थ्री फेज transformer कहते हैं इसमें तीन प्राथमिक तथा तीन secondary winding होती है यह सेल या कोर टाइप के होते हैं इनका उपयोग 66, 220, 110, 132, 440 KVA step Up करके transmit करने के लिए किया जाता है और जो distributional प्रणाली में जो transformer होते है वे Three fage transformar होते हैं और आजकल Three fage transformar का ही अधिक प्रयोग होता है।

तो दोस्तों कुछ यही ट्रांसफार्मर के महत्वपूर्ण प्रकार है जिन के बारे में हमने विचार विमर्श किया है। तो दोस्तो आशा करता हूं आप जान चुके होंगे कि Transformer कितने प्रकार के होते हैं तो चलिए अगली टॉपिक की ओर बढ़ते हैं और transformer से जुड़ी कुछ और जानकारी को प्राप्त करते हैं।

Transformer किस सिद्धांत पर कार्य करता है।

दोस्तों इस टॉपिक के अंदर हम जाने वाले हैं कि आखिर Transformer किस सिद्धांत पर काम करता है और कैसे काम करता है तो आप हमारे इस टॉपिक के साथ ऑन तक बने रहिए चलिए शुरू करते हैं इस टॉपिक को बिना देरी किए हुए हम आपकी जानकारी के लिए बता दें कि Transformer mutual induction के सिद्धांत पर काम करता है और Transformer में दो wedding होती है जिसमें से एक winding Electromotive Force और दूसरी वाली Magnetic Field पर काम करती है।

जब पहली winding में AC यानी कि alternative current supply दी जाती है तो उसके चारो तरफ एक magnetic field या चुंबकीय क्षेत्र बन जाता है जिसको Electromotive Force कहते है। और जब दूसरी Coil इस magnetic field के अंदर आती है तो दूसरी Coil में electron बहने लगते हैं और इस Coil के सिरों पर हमें AC supply मिल जाती है। लेकिन transformer की output supply इसकी input के ऊपर निर्भर करेगी।

तो दोस्तों कुछ इस तरह से transformer किस सिद्धांत पर अच्छी तरह से काम करता है। तो दोस्तो आशा करता हूं आप जान चुके होंगे कि Transformer किस सिद्धांत पर कार्य करता है तो चलिए अगली टॉपिक की ओर बढ़ते हैं और transformer से जुड़ी कुछ और जानकारी को प्राप्त करते हैं।

Transformer को सप्लाई से जोड़ने से पहले टेस्ट करें

दोस्तों इस टॉपिक में हम जानेंगे कि आखिरी Transformer में electricity भेजने से पहले किस तरह से टेस्ट किया जाता है तो चलिए शुरू करते हैं इस टॉपिक को बिना देरी किए हुए हम आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अगर आप कहीं पर Transformer का इस्तेमाल करना चाहते हैं चाहे वह single fage transformer हो या फिर three fage transformer हो इस का connection करने से पहले आपको कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत ही जरूरी है ताकि आपका transformer सही तरह से काम करें और आपको किसी प्रकार की कोई हानि ना हो।

इंसुलेशन टेस्ट ( insulation test )

insulation को test करने के लिए आपको दोनों winding के बीच में मैगर का इस्तेमाल करना है और दोनों winding के बीच का प्रतिरोध पता करना है।

अर्थ कंटीन्यूटी टेस्ट (community test)

क्या आपको मालूम है कि इस test को करने के लिए आपको test lamp का इस्तेमाल करना होगा इसके लिए test lamp की एक तार को transformer की body के साथ जोड़ दें और दूसरी तार को fage की तार से जोड़ दें अगर लैंप जलता है तो इसका मतलब transformer की अर्थिंग बिल्कुल सही तरह से काम कर रही है।

ट्रांसफार्मर आयल टेस्ट (Transformer oil test)

क्या आपको मालूम है कि इस test में transformer के तेल की जांच भी की जाती है इस टेस्ट में transformer की high electric strength को मापा जाता है इस के लिए Transformer oil testing उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है।

और जब कॉटन की टेप को तकरीबन 120 degree पर लगभग 48 घंटे तक transformer के तेल में रखा जाता है अगर इसकी विशेषता में कोई फर्क ना आए तो इसका मतलब transformer का तेल अच्छी quality का है।

शार्ट सर्किट टेस्ट ( Short circuit test )

इस test के दौरान यह पता लगाया जाता है कि primary winding और secondary winding आपस में स्पर्श तो नहीं हो रही है. इसके लिए मेगर का इस्तेमाल किया जाता है। जिस में मेगर के terminal को primary winding के सिरे से जोड़ते हैं. तथा मेगर के दूसरे terminal को secondary rewinding से जोड़ते हैं और मेजर को घुमाने पर सुई 0 reading देती है तो दोनों वाइंडिंग आपस में शार्ट है यदि सुई infinity पर है तो winding short नहीं करता है।

तो दोस्तों जैसे कि हमने आपको ऊपर के टॉपिक में बताया कि ट्रांसफार्मर में इलेक्ट्रिसिटी देने से पहले जांच किया जाता है ठीक उसी तरह से ट्रांसफार्मर में इलेक्ट्रिसिटी देने के पश्चात उसे अच्छी तरह से जांच किया जाता है।

तो दोस्तो आशा करता हूं आप जान चुके होंगे कि Transformer को सप्लाई से जोड़ने से पहले टेस्ट करें तो चलिए अगली टॉपिक की ओर बढ़ते हैं और transformer से जुड़ी कुछ और जानकारी को प्राप्त करते हैं।

[ Conclusion, निष्कर्ष ]

दोस्तों आशा करता हूं कि आपको मेरा यह लेख Transformer क्या होता है और Transformer के कितने प्रकार होते है? आपको बेहद पसंद आया होगा और आप इस लेख के मदद से वह सभी चीजों के बारे में पूरे विस्तार से जान चुके होंगे जिस के लिए आप हमारी वेबसाइट पर आए थे।

हमने इस लेख में सरल से सरल भाषा का उपयोग करके आप को Transformer से जुड़ी सभी जानकारी देने की कोशिश की है दोस्तों हम लोग इस आर्टिकल में ट्रांसफार्मर से जुड़ी सभी जानकारियों को काफी आसान  और सरल भाषा में समझाया है  और बताया है कि ट्रांसफर क्या है और इसके कितने प्रकार होते है।

इसके अलावा हम लोग इस आर्टिकल में Transformer  से जुड़ी और भी  जानकारियों को प्राप्त किया है जैसे कि Transformer का आविष्कार कब हुआ था, Transformer के भाग कितने होते हैं  और बताया है कि Transformer किस सिद्धांत पर कार्य करता है इसके अलावा आर्टिकल के अंत में हम लोग बात किए हैं कि  Transformer को सप्लाई से जोड़ने से पहले टेस्ट करें और ट्रांसफार्मर आयल टेस्ट  ।

तो यदि आप हमारे इस आर्टिकल को पूरा अंत तक पढ़े होंगे तो हमें उम्मीद है कि आपको हमारा Transformer से जुड़ी सभी  जानकारी मिल गया होगा और आप Transformer के बारे में जान गए होंगे।

अगर दोस्तों आपको इस पोस्ट में कहीं भी कोई भी किसी भी तरह को,पढ़ने में या किसी भी चीज में कोई भी दिक्कत हुई होगी तो आप हमारे कमेंट बॉक्स में बेझिझक कुछ भी सवाल पूछ सकते हैं।

हमारी समूह आपकी मैसेज के रिप्लाई जरूर देगी और आप यह भी कमेंट में जरूर बताएं कि Transformer क्या होता है और इसके कितने प्रकार होते है? पर यह पोस्ट लगा  ताकि हम आपके लिए दूसरे पोस्ट ऐसे ही लाते रहे। तो चलिए दोस्तों इसी जानकारी के साथ हम अब इस लेख को समाप्त करते हैं और अगर आपको हमरा यह पोस्ट को पढ़ने के लिए दिल से धन्यवाद………

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